Wednesday, December 30, 2015

Main..... Me

चलते चलते यूँ ही इन राहो में,
 कुछ मोड़ मिले, कुछ  छोड़ गए,
कभी मैं गिरी, कभी सम्भली,
पर कभी मैं यह न समझ पायी कि खुद को खोया है मैंने , या खोकर पाया है मैंने।

मैं कौन हूँ, मैं क्या हूँ,
क्या झुण्ड से अलग दिखने में मैं हूँ, या भीड़ में समां जाने में मैं हूँ ।
क्या ख़ुशी में सबको हसाना मैं हूँ , या नज़रे चुराके चुप चाप रोना मैं हूँ ।
क्या अपनों से घिरि हुई गप-शप करने वाली मैं हूँ, या अकेले में अपने आप से बात करने वाली मैं हूँ ।
क्या पानी कि तरह बहना मैं हूँ , या रेत सा फिसल जाना मैं हूँ ।
क्या रंजिशों में जीना मैं हूँ , या माफ़ करके आगे बढ़ना मैं हूँ ।
क्या वो चमकता हुआ तारा मैं हूँ, या सुकून से मुस्कुराता हुआ चाँद मैं हूँ ।
क्या किसी परिभाषा में ढलने वाली मैं हूँ, या अवर्णनीय मैं हूँ ।

मैं कौन हूँ , मैं क्या हूँ ,
क्या वो जिसे मैंने खोया था मैं हूँ, या जिसको पाया है मैं हूँ ।